कोलारस। कोलारस के संसार के प्रत्येक प्राणी को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। इससे मुक्ति कभी नहीं मिलती है। यह बात और है कि किस कर्म का फल कब मिलता है। जो कर्म ज्यादा होते हैं उसे बाद में तथा जो कम होते है उसे पहले भोगने को मिलता है। वैसे इसका कोई एक ही पैमाना ना होकर परिस्थिति तथा दैवी कृपा से निर्धारण होते देखा या सुना गया है। यदि अच्छे कर्म ज्यादा हैं तो बुरे कर्मों का फल इसी जन्म में तथा अच्छे का फल अगले जन्म में या इसी जन्म के बाद के दिनों में भोगने को मिलता है। यह बात मुनि श्री ने कही। श्री चंद्र प्रभु दिगंबर बड़ा जैन मंदिर में चतुर्मास के लिए पहुंचे मुनि मंगलानंद सागर और मुनी मंगल सागर जी प्रतिदिन प्रवचन दे रहे हैं मुनियों ने कहा कि अध्यात्म तथा लोकाचार में यह बात कही गई हैं कि जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल काटोगे। मनुष्य अपने कर्मों का फल इसी जन्म में पाता है। इस संसार में रहते हुए फल की चिंता किए बिना कर्म करते जाना ही हर मनुष्य का कर्तव्य है जो अपना कर्तव्य नहीं करता वह पाप का भागीदारी है
Post a Comment
0 Comments
/*-- Don't show description on the item page --*/
/*-- If we are replacing the title, force it to render anyway, and it'll be hidden in CSS. --*/