पुलिस जांच में पता चला है कि हत्या के पीछे की मुख्य वजह पुराना विवाद है। अजय ने 2017 में ग्वालियर में अपने पिता पुलिस निरीक्षक हनुमान तोमर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उसने भानू पर भी जानलेवा हमला किया था। अजय को आजीवन कारावास की सजा हुई और वह ग्वालियर केंद्रीय जेल में बंद था। वह 14 जुलाई 2025 को पैरोल पर बाहर आया था। इधर, भानू को पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति मिल गई थी।
भानू ने बदले की भावना से ग्वालियर के अपराधी धर्मेंद्र कुशवाह को एक लाख रुपए में सुपारी दी। धर्मेंद्र पहले भी हत्या के आरोप में जेल में रह चुका है। वहीं, उसकी मुलाकात अजय तोमर से हुई थी। धर्मेंद्र ने भानू के दूर के रिश्तेदार मोनेश तोमर की मदद से एक नाबालिग लड़की को इंदौर से बुलवाकर अजय से दोस्ती करवाई।
अजय 23 जुलाई को कार से शिवपुरी से ग्वालियर जा रहा था। लड़की उसके साथ थी। भानू और धर्मेंद्र कुशवाह उनका पीछा कर रहे थे। लड़की ने नयागांव तिराहे के पास वॉशरूम के बहाने कार रुकवाई, तभी भानू और धर्मेंद्र ने अजय पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।