करैरा:- पीके विश्वविद्यालय, शिवपुरी, मध्य प्रदेश, एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में है। बी. फार्मेसी के छात्र आशिफ अली, पुत्र दौलत शाह, निवासी चांद दरवाजा, वार्ड नंबर 4, करैरा, ने मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग, भोपाल को आवेदन देकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर स्कॉलरशिप न देने, जमा फीस वापस न करने और ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) रोकने का आरोप लगाया है। आशिफ ने बताया कि सत्र 2020-21 में बी. फार्मेसी कोर्स में प्रवेश के समय विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें ओबीसी वर्ग के तहत 35,000 रुपये की स्कॉलरशिप का आश्वासन दिया था। उन्होंने 1,05,000 रुपये की फीस जमा की और प्रथम वर्ष की पढ़ाई पूरी कर मार्कशीट भी प्राप्त की। हालांकि, अन्य छात्रों को स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद उन्हें यह राशि नहीं दी गई। जब आशिफ ने स्कॉलरशिप के बारे में पूछताछ की, तो प्रशासन ने दूसरी वर्ष की फीस जमा करने की शर्त रखी। मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण आशिफ दूसरी वर्ष की फीस जमा नहीं कर सके, जिसके चलते उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई। आशिफ ने विश्वविद्यालय की डीन (एकेडमिक) श्रीमती ऐमन फातिमा पर प्रवेश के समय झूठा आश्वासन देने का आरोप लगाया,एमन फातिमा का कहना था कि आपको स्कॉलरशिप मिलेगी आप केवल एडमिशन ले लीजिये ।
विश्वविद्यालय प्रशासन का छात्र के प्रति सौतेला रवैया और टीसी का गायब होना बड़ा विषय
आशिफ ने अपने आवेदन में विश्वविद्यालय प्रशासन के असहयोगात्मक रवैये को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि डायरेक्टर जितेंद्र मिश्रा से संपर्क करने पर उन्हें मिलने का समय तक नहीं दिया गया। इसके अलावा, गौरव सक्सेना और दीपक जाटव ने उन्हें आदिम जाति कल्याण विभाग, शिवपुरी भेज दिया, जहां से भी कोई समाधान नहीं मिला। सबसे गंभीर आरोप यह है कि विश्वविद्यालय ने आशिफ की ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) प्रदान नहीं की, जिसके कारण उनका भविष्य अधर में लटक गया है। आशिफ ने दावा किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार ने उनकी शैक्षणिक यात्रा को बाधित किया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय अन्य राज्यों के छात्र-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार करता है और शिकायत करने पर उनके साथ मारपीट तक की जाती है। आशिफ के अनुसार, उनके जैसे कई अन्य छात्र भी विश्वविद्यालय की इस कार्यशैली से पीड़ित हैं। आसिफ़ अली का बी फार्मा का सपना यूनिवर्सिटी प्रबंधन की गलती के कारण चकना चूर हो गया ।