मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, ग्वालियर खंडपीठ द्वारा न्यायालय परिसर में मारुत रत्न डी भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा स्थापित करने हेतु पारित आदेश का खुलेआम उल्लंघन किया गया है। प्रशासन द्वारा अतिमा स्थापना को रोका गया और प्रतिमा ही नहीं बचेगी जैसी आपतिजनक एवं भड़काऊ टिप्पणी कुष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा की गई। वह न केवल माननीय उब्व व्यायालय की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की गरिमा और सामाजिक न्याय के मूल्यों का भी अपमान है।जब भीम आर्मी एवं अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शांति पूर्ण विरोध प्रदर्शन किया, तो पुलिस की उपस्थिति में उन पर हमला किया गया, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है और विधि के भन के विरुद्ध है। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का तत्काल पालन ग्वालियर खंडपीठ परिसर में भारत रतन सविधान निर्माता की अवेडकर जी की प्रतिमा स्थापित कराई जाए।
आदेश की अवहेलना करने वाले अधिक्ताओं के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जाए। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर हमला करने वालों के शिव्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाए।प्रतिमा स्थापना का विरोध करने वाले अनिल मिश्रा अजिता पचनाक अधिवका गौण व्यास आदि की शान कर उनकी अधिवक्ता मान्यता रह करने हेतु बार काउंसिल भीफ इंडिया एवं मध्यप्रदेश बार काउंसिल भये निर्देशित किया जाए तथा इनके विरुद्ध भी विधिक कार्य बाई की जाए।समस्त प्रकरण की निध्यक्ष एवं स्वतंत्र जी माननीय जाँच्न न्यायालय की प्रसनी में कराई जाए।