शिवपुरी, शिवपुरी में महिलाओं की सुरक्षा, जागरूकता और आत्मनिर्भरता को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। आजीविका मिशन और पुलिस विभाग के संयुक्त प्रयास से 26 से 28 मई तक तीन दिवसीय ‘पुलिस सखी आवासीय प्रशिक्षण शिविर’ का आयोजन पंचायत सचिव प्रशिक्षण केंद्र, फतेहपुर में किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य है हर पंचायत में एक ऐसी सखी तैयार करना, जो न केवल ग्रामीण महिलाओं की समस्याओं को समझे, बल्कि उन्हें थानों और न्याय व्यवस्था से जोड़ने का काम भी करे। कार्यक्रम में ज़िला पंचायत सीईओ हिमांशु जैन और पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौर की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और भी प्रेरणादायक बना दिया।
परिवर्तन की शुरुआत गांव से
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई। इस शिविर में जिले के 8 विकासखंडों से समता सखी और समता समन्वयकों ने भाग लिया। योजना प्रबंधक अरविंद भार्गव ने जानकारी दी कि जिले में आजीविका मिशन के तहत 12,760 महिला समूह सक्रिय हैं, जिनमें 1.45 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन सखियों को अब गांव की चौपालों से निकलकर थानों तक महिलाओं की आवाज़ पहुंचाने का ज़िम्मा सौंपा जा रहा है।
समस्या नहीं, समाधान की सखी
महिलाओं को अक्सर थाने जाने में झिझक होती है — यह पहल इसी डर को तोड़ने की कोशिश है। समता सखी न केवल महिलाओं के बीच बैठकों और सरकारी योजनाओं की निगरानी करेंगी, बल्कि ज़रूरतमंद महिलाओं को ग्राम संगठन से जोड़ने और न्याय दिलाने की दिशा में भी काम करेंगी। लोक अधिकार केंद्र की रेखा ओझा और वंदना कुशवाह ने उदाहरणों के माध्यम से बताया कि कैसे कई पीड़ित महिलाओं को सखियों की मदद से न्याय मिला और उनके जीवन में नया आत्मविश्वास लौटा।
न्याय, अब दूरी पर नहीं
पुलिस अधीक्षक अमन सिंह राठौर ने कहा कि पुलिस विभाग के पास ग्रामीण स्तर पर महिला केंद्रित कार्यबल नहीं था। यह पहल इस कमी को पूरा करेगी। अगर हर पंचायत में एक ‘पुलिस सखी’ हो, तो महिलाओं की समस्याओं तक हम सीधे पहुंच सकेंगे।" उन्होंने बताया कि सखियों को थानों के विज़िट कराए जाएंगे, ताकि वे पुलिस कार्यप्रणाली से परिचित हो सकें।
आज की ग्रामीण महिलाएं केवल चूल्हा-चौका तक सीमित नहीं हैं। वे पढ़ी-लिखी हैं, योजनाओं को समझती हैं और अब समाज को बदलने की ताकत भी रखती हैं। यह कार्यक्रम उसी बदलाव की बुनियाद रखता है।
जिला पंचायत सीईओ हिमांशु जैन ने कहा कि समूहों के माध्यम से महिलाओं तक सीधा संवाद स्थापित होता है। समता सखियाँ ग्राम स्तरीय बैठकों के माध्यम से सरकारी योजनाओं की स्थिति का निरीक्षण करती हैं और यदि कोई महिला लाभ से वंचित हो, तो उसे ग्राम संगठन में जोड़कर उचित लाभ दिलाने का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि हर पंचायत में एक 'पुलिस सखी' की उपलब्धता, संवाद एवं सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बन सकती है।