कथा प्रवक्ता पंडित बृजेश जी भार्गव ने समझाया कि संगति का प्रभाव व्यक्ति के मन को विचलित कर सकता है, इसलिए मन को पवित्र बनाए रखना चाहिए। इसके बाद हरि अवतार और समुद्र मंथन की कथा सुनाई गई, जिसमें अमृत प्राप्ति का प्रसंग आया। उन्होंने बताया कि अमृत का कुंभ चार स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर छलका था, और आज भी इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
वामन अवतार की कथा में उन्होंने बताया कि राजा बलि ने भगवान को अपना सर्वस्व अर्पित किया। भगवान ने वरदान देकर वचन दिया कि वे चार महीने पाताल में निवास करेंगे और फिर वापस बैकुंठ लौटेंगे। इसी घटना की स्मृति में देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है, जिसे शुभ मुहूर्त के साथ संपन्न किया जाता है।
श्री राम और श्री कृष्ण अवतार की कथा
पंडित बृजेश भार्गव ने कहा कि जहां मर्यादा होती है, वहां भगवान श्री राम का वास होता है। उन्होंने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के अवतार की कथा का वर्णन करते हुए भक्तों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया। कार्यक्रम के दौरान भक्तों ने भक्ति रस में सराबोर होकर कृष्ण जन्मोत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया।कथा विश्राम के बाद मुख्य यजमान धाकड़ परिवार ने व्यासपीठ की आरती उतारी। और प्रसादी वितरण की। कथा में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ पांडाल में उमड़ रही है जिसमें महिला बच्चे बुजुर्ग सभी भारी संख्या में शामिल रहे कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 1:00 से शाम 5:00 बजे रहेगा कथा के यजमान धाकड़ समाज ने सभी से समय पर आकर कोलारस के श्रद्धालुओं से धर्म लाभ लेने की अपील की है